माँ मानवता का पल्लवन स्थल
बिन माँ मानव अस्तित्व नहीं
बिन माँ बियाबान संसार लगे
मातृ महिमा का कोई अंत नहीं
माँ भव्य जगत का प्रवेश द्वार
माँ में निहित हैं दृश्य अपार
गर्भाशय में पाले गर्भनाल
स्तनपान करा, करे देखभाल
पाहिले तेरी धड़कन सांझी थीं
अब तेरे लिए ही दिल धड़के
गीले बिस्तर में सो के उसने
तेरे दुखः सहे सब बढ़चढ़ के
माँ है देवी, सच्ची शुभचिंतक
मातृ सेवा है जीवन प्रेरक
माँ का ह्रदय से गुणगान करो
माँ को साष्टांग प्रणाम करो
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