माँ की महिमा Poem by C. P. Sharma

माँ की महिमा

माँ मानवता का पल्लवन स्थल
बिन माँ मानव अस्तित्व नहीं
बिन माँ बियाबान संसार लगे
मातृ महिमा का कोई अंत नहीं

माँ भव्य जगत का प्रवेश द्वार
माँ में निहित हैं दृश्य अपार
गर्भाशय में पाले गर्भनाल
स्तनपान करा, करे देखभाल

पाहिले तेरी धड़कन सांझी थीं
अब तेरे लिए ही दिल धड़के
गीले बिस्तर में सो के उसने
तेरे दुखः सहे सब बढ़चढ़ के

माँ है देवी, सच्ची शुभचिंतक
मातृ सेवा है जीवन प्रेरक
माँ का ह्रदय से गुणगान करो
माँ को साष्टांग प्रणाम करो

माँ की महिमा
Saturday, October 22, 2016
Topic(s) of this poem: mother
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C. P. Sharma

C. P. Sharma

Bissau, Rajasthan
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