हमारे पास Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमारे पास

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हमारे पास
मंगलवार, ८ सितम्बर २०२०

जो रहते है हमारे पास
वोलगते है खासमखास
खांसी से भी भाप लेते है
सांस से भी समज जाते है।

ऐसे दोस्त मिलना है मुश्किल
नहीं आने देते समस्या जटिल
करे देते है दूर आसान तरीके से
ना कभी करते है कर देते है काम छुपके से।

ऐसे दोस्त जन्नत की भेंट होते है
जो जीवन मेंअच्छी तरह सेट होते है
ना कोई धन की लालसा रखते है
ना कोई आस लगाए है रहते है।

जीवन हमारा धन्य
दोस्त हमारे भाई तुल्य
ना कोई भेदभाव मन में
ना कोई दुराग्रह दिल में।

जीवन से हमें हो जाता है लगाव
ना उभरता कभी अलगाव
मित्रों का लगा रहता है जमावड़ा
में देखता रहता हूँ खड़ा-खड़ा।

जीवन में आ जाता है निख़ार
जैसे गुलशन में आ गई बहार
सब होते है अपने जीवन मस्त
हम को देखकर हो जाते है सं के होंसले पस्त।

डॉ जाडिआ हसमुख

हमारे पास
Monday, September 7, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Sharad Bhatia 08 September 2020

गुरुजी सादर प्रणाम, . बहुत बेहतरीन रचना, . कुछ यार मेरा भी ग़म भुला जाते, , पूछते हैं सूकून हैं और सुकून दे जाते। । जब कभी अकेला बैठा हूँ, बस धीरे से गले लगा जाते हैं।।

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 07 September 2020

सब होते है अपने जीवन मस्त हम को देखकर हो जाते है सं के होंसले पस्त। डॉ जाडिआ हसमुख

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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