सुरो का-सार Poem by Ajay Srivastava

सुरो का-सार

साथ है अभ्यास का
रेन बसेरा है शब्दो का
गति है ध्वनी की
माध्यम है भावो को व्यक्त करने का
पाव है साजो के
धार है लय की
नीरस मे रस भरने की राह है
सार है शब्दो व रागो मे संतुलन का

सुरो का रंग शब्दो का साथ
पाव है साजो के, उडान है लय के सन्तुलन की

सुरो का-सार
Monday, January 16, 2017
Topic(s) of this poem: music
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Ajay Srivastava

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