सृजन Poem by Jaideep Joshi

सृजन

कोमल भावों की मृदु बदरी
जब संवेदी ह्रदय में उमड़ती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है I

सुसंस्कृत विचार, उपयुक्त विषय
पर तन्मयता की चांदनी जब बरसती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है I

परिशुद्ध शब्द, उत्कृष्ट विन्यास
पर कल्पना की बेल जब चढ़ती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है I

उत्कट इच्छा, विलक्षण प्रतिभा
पर प्रेरणा की ओस जब गिरती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है I

सुगढ़ कृतित्व, योग्य व्यक्तित्व
पर वाग्देवी की अनुकम्पा जब पड़ती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है।

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