जो महगई बडाते है
जो आपस मे लडवाते है
जो नफरत को बडावा देते है
जो भ्रष्टाचार को बडावा देते है
ऐ काटो क्यों नही तुम इनकी राह मे बिछ जाते 11
जो भेद - भाव करते है
जो कानून को अपनी जेब मे रख कर चलते है
जिनका दीन ईमान बिक चुका है
और जो दूसरो पर अकारण हँसते है
ऐ काटो क्यों नही तुम इनकी राह मे बिछ जाते 11
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