भर गया है दिल मेरा Poem by Ahatisham Alam

भर गया है दिल मेरा

भर गया है दिल मेरा इस जहां से
उनकी उल्फत की लाएं हम मिसाल कहाँ से
वफ़ा क्या चीज़ है बेवफ़ा ये क्या जाने
हम अपनों से बढ़कर अपना उनको माने

नग़मा-ए-बेवफ़ाई कह ना सका मैं
तुझसे बिछड़ के रह न सका मैं

मेरे आसुंओं का मेरी तन्हाइयों का
कोई नाम तुझ पर नही है
दिल को तोड़ा भी तुमने तो
ये इलज़ाम तुझपर नही है।

Sunday, July 2, 2017
Topic(s) of this poem: love
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June 2000
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