अनामिका है कविता Poem by Vashita Moondra

अनामिका है कविता

अनजान एक ख़याल है कविता|

अनसुनी एक गाथा है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



दिली-तमन्नाओं की पिटारी है कविता|

भोर का पवित्र उजाला है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



डूबते सूरज की ताप है कविता|

टूटता एक तारा है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



मेघ की घनघोर गर्जन है कविता|

रात की निस्तब्धता है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



हरे घांस पर ओ़स की बूँद है कविता|

सृष्टि की संरचना है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



गुडडे-गुडडी की ब्याह है कविता|

लड़कपन के विविध खेल हैं कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



शेहनाई की मंगलध्वनि है कविता|

दो प्रेमिओं का मिलन है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



परमात्मा की सिमरन है कविता|

एक फकीराना अंदाज़ है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



एक फौजी के देश-प्रेम है कविता|

कुछ कर दिखने की जिद्द है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



टूटते सपनों की व्यथा है कविता|

कुछ पाकर खोने का दुःख है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



बिछड़ते दोस्तों का गम है कविता|

एक उदास अकेलापन है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



जावन का सार है कविता|

एक नई आशा है कविता|

फिर भी...

अनामिका है कविता|



आखिर क्या है ये कविता?

खों सब होने के बावज़ूद भी,

कुछ भी नहीं है कविता?

अनामिका क्यों है कविता?



कविता एक भाव है, एक अंदाज़ है

एक एहसास है कविता|

अपनी आशाओं को, तमन्नाओं को

बयां करना है कविता|



एक ही शब्द में,

अनेकों अर्थ है कविता|

हर एक व्यक्ति के लिए,

अलग व्याख्या है कविता|



देखने का नज़रिया है अलग|

समझने का सलीका है अलग|

इसलिए हर पाठक के लिए,

अनामिका है कविता|



~ वशिता मूंधढ़ा

१७/०१/२०१२

अनामिका है कविता
Sunday, April 8, 2018
Topic(s) of this poem: life,poem
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
जब ये कविता लिखने बैठी, तब ये सोच रही थी की असल में कविता क्या है? क्यों हर किसी को एक ही कविता में अलग सार दिखता है? क्यों एक इंसान को कविता का कद्र है और दुसरे को नहीं? क्यों कभी कभी सार्थक होते हुए भी अर्थहीन सी लगती है कविता?



तब लगा, जीवन मानो एक कविता ही है... जिसमे हर किसी के लिए एक अलग अर्थ छिपा है| बस उस अर्थ को पहचानना तुम्हारे ऊपर है| इस जीवन में ऊपरवाले ने सभी को हर चीज़ एक बराबर दी है... अब यह हम पर निर्भर करता है की हम उसकी देन का उपयोग किस प्रकार करते हैं| किसी ने जीवन में सुख को अपनाया, किसी ने दुःख को| किसी ने प्रकृति में सर्वस्व पाया किसी ने परमात्मा में|हर इंसान अलग है, इस लिए कविता भी उसके लिए अलग अर्थ रखती है| इस लिए जीवन भी हर किसी के लिए अलग अर्थ रखती है|

गिलास आधा खाली है या आधा भरा हुआ, यह आप पर निर्भर करता है, और इसीलिए, जीवन की इस कविता को एक नाम देना भी आप पर ही निर्भर करता है|



अतः - -अनामिका है कविता
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 17 April 2018

देखने का नज़रिया है अलग| समझने का सलीका है अलग| इसलिए हर पाठक के लिए, अनामिका है कविता|...Like a nameless relation ship with a lot of love and beauty poetry is also nameless.

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