शोभित वही श्री श्रीकृष्ण मधुर अधर, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

शोभित वही श्री श्रीकृष्ण मधुर अधर,

जो करती श्री श्रीकृष्ण को वश में,
विराजमान श्रीहरि उन करकमल में,
जिनकी छाया पाने को सुर-मुनिवर,
शोभित वही श्री श्रीकृष्ण मधुर अधर,
जिनमें प्राण भर करते नाद श्रीमुरारी,
गोपसखा गोपी छबि लख लेते बलिहारी,
उन वँशी को हम करते प्रणाम नित्य "नवीन"
नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार, नाद प्रवीण।

Sunday, April 22, 2018
Topic(s) of this poem: love
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