हम तेेरे हो गए। Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम तेेरे हो गए।

आँखों ने आँसुओं को देखा,
तेरे नयन छलक गए,
हम तेेरे हो गए।

नयन तेरे नजर मेरी देखते रहे,
मेरी भी आँखें सब कुछ कह गए,
हम तेरे हो गए।

जुबां चाहते थे कुछ कहना,
मगर चुप रह गए,
लेकिन हम तेेरे हो गए।

बोलने में हिचकी जो आई,
उस समय भी आँखें भर आई,
हम तेरे हो गए।

अचानक जु़दा होने का समाचार मिला,
यह सुन आँखो से प्यार भरमार मिला,
हम तेेरे रह गए।

जुदा होने को थे हम -तुम थे न आतुर,
कौन चाहता प्यार में बिछुड़,
तेरे-मेरे आँसू बह गए।

नयनों को जो देखने की आशा,
हो न रही थी पूरी प्रत्याशा,
लेकिन हम तेेरे रह गए।

कभी भी न जु़दा हम रह सकेंगे,
तेेरे बिना हम रह न सकेंगे,
"नवीन"हम तेेरे रह गए।

Friday, September 14, 2018
Topic(s) of this poem: love
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