वक्त सहमा सा ठहरा एक मुलाक़ात उनसे,
इस बात के चलते हो जाये,
आरज़ू है ठहरी लम्हें हैं ठहरे
बदलो बिन बरसात रुक जाये.
ख़ामोशी न जताये अपना हक सा वो मुझपे,
जो हक था तेरा फिर से हो जाये.
रुठीं हैं रातें देतीं हैं आवाज़ तुझको,
बस इस रात बात फिर से हो जाये.
वक़्त खो जाये उन लम्हों में फिर से
फिर से हाल मेरा, तेरा हो जाये.
तेरी नींदों में किस्सों में आदत में फिर से,
फिर से जिन्दगी तुझमे खो जाये.
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