पेड़ जो साया दार है बाबा Poem by Sanjay Amaan

पेड़ जो साया दार है बाबा

पेड़ जो साया दार है बाबा
सात समंदर पर है बाबा
बिक जाते है ज़ज्बे रिश्ते
कैसा ये बाज़ार है बाबा
दीन धर्म क्या, प्यार वफ़ा क्या
सब रुपयों कि झनकार है बाबा.
दूर नहीं वो दामन लेकिन
बीच में इक दीवार है बाबा
मै भी बना दू ताजमहल एक
मुमताज की बस दरकार है बाबा
शेरो -सुखन क्या चीज़ है संजय
शब्दों की भरमार हैं बाबा.
..... संजय अमान

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Sanjay Amaan

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