शिलान्यास. Poem by Sanjay Amaan

शिलान्यास.

शिलान्यास.
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सोचता हूँ
मोम सा मन, कोमल सा तन
पत्थर सा हो जाए
और -
पूजा जाए देवता कि तरह
लोग श्रद्धा के फ़ूल चढ़ाएँ -
काश, मै भी बेमोल हो जाता
ख़त्म हो जाते सारे झंझट -
मोक्छ की प्राप्ति मै पाता, काश मेरे साथ सचमुच कुछ ऐसा हो जाता -
हो जाती मेरी प्राण प्रतिष्ठा -
मै भी पत्थर का देवता बन जाता.
- - - - - - - - -संजय अमान

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