थोड़ा सा इंतजार Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

थोड़ा सा इंतजार

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थोड़ा सा इंतजार
बुधवार, १२ अगस्त २०२०

मुजे आन मिलो सजना
तुम बिन मैंने नहीं सजना
आंखे सूज गई है रोते रोते
रात कट गई है बिन सोते।

तुमबिन जीवन है सूना
अबना करना कभी मना
हमने तो मांग लिया है तुम्हारा हाथ
अब आपने ही देना है जीवनभर साथ।

देखा था तुम्हे पहली बार
अपनी आँखे हुई थी चार
मैंने सोच इसको बार बार
उन्हों ने भी कह दिया "थोड़ा सा करो इंतजार"

लगा मुझे जीवन है एक पहेली
बार बार पुछती रही सहेली
मैंने कह दिया "में क्या जानू"?
उनके दिल की बात में कैसे पहचानु?

अरे, इतनी पागल मत बन!
तेरे को लगता होगा जीवन मधुबन
जब भी हो जाएगी अनबन
जीवन मे लगेगा असली रूखापन।

मुझे तो लगा प्यारा जीवन
उन में दिखा अपनापन
आसमान भी मुझे लगने लगा नीचा
सारा संसार लगा मुझे अपना समूचा।

जीवन की यही तो है खूबसूरती
थोड़ी सी देर मेंजीवन को पलट देती
नजरिया ही बदल जाताश्रुष्टि को देखने का
अपने को अपनाने का और परखने का।

डॉ. जड़ियाहसमुख

थोड़ा सा इंतजार
Wednesday, August 12, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 August 2020

Date & Time: 8/12/2020 8: 29: 00 AM Remove this comment Poem: 58958363 - थोड़ा सा इंतजार Member: Varsha M Comment: Bahut behatreen rachna aapke. Aabhar.

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Varsha M 12 August 2020

Bahut behatreen rachna aapke. Aabhar.

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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