ढलती सांझ घनघोर घटा
मँडराते बादल
लिखी बाते वो यांदे I
स्याही मे कलम डुबाये हुये
नीली पंखुरी सी
लिखी बाते वो यांदे I
स्याही मे कलम डुबाये हुये
घनी इबारत सी
साँसो की तपिश मे खोये हुये
नरम नाजुक सी तन की पांते
लिखी बाते वो यांदे I
सागरीय उन्माद समाये हुये
चढ़ते ज्वार सी - -
तेरी यांद के पंख फैलाये हुये
धढ़्क्ते दिल से -कह दी बाते
लिखी बाते वो यांदे II
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