हीरा Poem by Shobha Khare

हीरा

चाँदनी को ढूंढिए सितारो से क्या मिलेगा I
फूलो को तोड़िए खारो से क्या मिलेगा I
गर चाहते हो ढूँढना हीरा कोई नायाब तुम I
गहराइयो मे जाइए किनारो सेक्या मिलेगा II

Wednesday, August 5, 2015
Topic(s) of this poem: life
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