बोझिल पलकें लेकर अपनी, साँसे गिनता रहता हूँ.
सागर नहीं साथ मेरे पर, ख़ुद ही बहता रहता हूँ..
मै निर्जीव निकम्मा ना हूँ, और ना ही दास किसी का.
फिर भी वो जो कहते हैं, मै सब कुछ सहता रहता हूँ..
भीगे ख्वाबों को ले कर यूँही, सदा सदा चलता रहता......
मै असत्य का पालनकर्ता.............................................
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Thanks Again Getha ji! !