अनकही जो रह गईं है
कह नही पाता है मन
श्रम-परिश्रम घोर करके
लिख नही पाता ये तन
आज कैसे कह सकूंगा
कह न पाया जो कभी
लाख कोशिश कर चुका
मन बांध न पाया अभी
- अभय शर्मा
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