बेहोश हो रहा हो
चमक रही थी चांदनी चेहरे पर
रौशनी ही पुर बहार जगह जगह पर
हम तो बोखलाए सुन्न रह गए
न कह पाये सीधे इसलिए खिन्न हो गए।
गालो पे लाली थी गुलाब की तरह
खुश्बू महक रही थी सब तरह
में मदहोश हुए जा रहा था
बस हवा के झोके में नहा रहा था।
पुरे शबाब में था हुस्न
दिल कैः रहा था मनाओ जश्न
मौसम चारो और रंगीला है
दिल मचल रहा मतवाला है।
'मन ने कहा ' आगोश में बाहर लो
हमारी कहानी भी पूरी सुन लो
मन में आये वो कह देना
पर दिल से बाहर न कर देना।
हमें लगा वो परीक्षा ले रहे है
बात को गोर से सुन रहे है
ढूँढ रहे होंगे सही शब्द जवाब देने के लिए
पर देखे बनता था रुआब समझने के लिए।
कुदरत का कमाल तो देखो
उनका रुतबा एक बार और देखो
चाँद जैसे चांदनी का ख्याल रख रहा हो
हमारा मन भी मन मे जैसे बेहोश हो रहा हो।
welcome alpa negi and shailesh jaiswal Unlike · Reply · 1 · Just now
कुदरत का कमाल तो देखो उनका रुतबा एक बार और देखो चाँद जैसे चांदनी का ख्याल रख रहा हो हमारा मन भी मन मे जैसे बेहोश हो रहा हो।
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Alpa Negi Mind blowing..jyare pan mara mate poem lakhi chhe tame, just fabulous! ! ! ! Abhar Hasmukh ji... Unlike · Reply · 1 · 3 hrs