ऐ मालिक मेरे ऐ सरवर मेरे-Dua Poem by Ahatisham Alam

ऐ मालिक मेरे ऐ सरवर मेरे-Dua

ऐ मालिक मेरे ऐ सरवर मेरे
कितने हैं खुशनसीब जो गये दर पर तेरे

ये दुआ कर रहा मैं करम कीजिये
मैं रहूँ दूर तुमसे ना ऐसा ग़म दीजिये

गर तेरे क़दमों में मेरी रूह परवाज़ हो जाये
तो कल महशर में मुझे ख़ुद पे नाज़ हो जाये

Tuesday, November 1, 2016
Topic(s) of this poem: love
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Written on 10 august 2002 at 8 pm
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