हम बात ही करना नहीं चाहते
हम बात ही करना नहीं चाहते
थक गए हम कहते कहते
किसी को परवाह कहाँ हमें देखने की?
झांककर सपनो को अपनाने की।
हम मनाते है दिल को
ओर कहते है पिगलने को
पर वो तो फिसलता ही रहता है
हमें झिल्लत ही देता रहता है।
ना कर नादानी मुझे छेड़ने की
बुरी आदत है यह तेरी पहले की
क्यों नजदीक आते हो और फिर छोड़ देते हो
पानी तो पिलाते हो पोधे को, पर फिर भी रोते रहते हो।
सूरज को अस्त होना अखरता है
चाँद रात होने पर ही निखरता है
हम ही है दिलझले जो अपने को संवार नहीं सकते
जाते सबकुछ है फिर भी कह नहीं सकते।
हम तो है किश्ती पे सवार
भले हो कोई करले पलटवार
नाही हम विचलित होंगे और नाही मूर्छित
बाकि सब हो जएगने विस्मित और चकित।
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हम तो है किश्ती पे सवार भले हो कोई करले पलटवार नाही हम विचलित होंगे और नाही मूर्छित बाकि सब हो जएगने विस्मित और चकित।