उमड़ कर दिल की गलियों से
उतर कर फूल कलियों से
हम चले हम चले
कुछ कर गुजरने
संग संग सम्बरने
हम चले हम चले
रोशनी के काफिले
क्या महल क्या किले,
अर्जियो ने कहा
आ मिले हम गले,
नीले आसमा के तले हम चले हम चले
नंगे पैरो के तले
छाले गुदगदी करे,
जस्न हुआ हर एक पल
राहें खुद ही सजे,
ऐसे वक्त में पले हम चले हम चले
संग तेरे कितने हसी लग रहे हैं रास्ते
हमसफ़र जो बने एक दूजे के वास्ते
खोल कर नाव को
छोड़ कर छाँव को
हम चले हम चले
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem