Jab Dil Se Dono Bacche The Poem by Abhishek Omprakash Mishra

Jab Dil Se Dono Bacche The

जो दिन बचपन के गुजर गये, वो दिन भी कितने अच्छे थे.
बस एक लगन थी मिलने की, दिल भी तब अपने सच्चे थे.
मासूम सी चाहत दोनों की, जज्बात भी मानो कच्चे थे.
दिल की हेराफेरी करली, जब दिल से दोनों बच्चे थे.

एक जमाने से दिल मेरा बस तेरी याद में रोता है.
हमको तब मालूम न था, कि इश्क मे ऐसा होता है.
तुमने भी तो चाहा था, क्या हाल तुम्हारा है बोलो.
मेरे ख्यालों में खो कर, क्या तेरा चैन भी खोता है.

गर मिल जाओ तो पूरी लिख दूँ, छूटी हुई कहानी को.
लौट आओ तेरे नाम मैं कर दूँ, अपनी पूरी जवानी को.
इश्क मुकम्मल हो जाता गर साथ मेरा तुम दे देते.
चुप कर दो तुम खुद आकर, इस जालिम दुनिया बेगानी को.

' अभिषेक ओमप्रकाश मिश्रा '

www.facebook.com/PoetAbhishekOmprakashMishra

Sunday, November 2, 2014
Topic(s) of this poem: love and pain
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
Childhood love
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success