क्यों मै अपनी रातें
काली करता हूं
क्या मिलता है
जो दीप जलाये बैठा हूं
यह किस उधेड़बुन में अक्सर
खोया गुमसुम सा रहता हूं
कुछ लोगों की ही खातिर क्या
मैं गीत सुनाया करता हूं
क्यों लगता है फिर कभी कभी
बस मन अपना बहलाता हूं
प्यार मै दुनिया से करता हूं
क्यों सबको मै जतलाता हूं
मैं तुमसे क्षमा चाहता हूं ।
अभय शर्मा
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