क्षत्रु का नाश Kshtru Kaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

क्षत्रु का नाश Kshtru Kaa

क्षत्रु का नाश

क्षत्रु का नाश सर्वप्रथम अग्रिमता
इतनी रखो दिल में हाम और क्षमता
नहीं तो फिर खानी पड़े खता
और खोना पडे ताज और सत्ता।

सांप का भरोसा नहीं करना
उसके फनो को है कुचलना
नहीं देना कोई मौक़ा पलटके वार करने का
नहीं तो आ जाएगा मौक़ा मरने का।

आज का काम आज ही करना
कल का भरोसा आज नहीं करना
कल की कल देखी जायेगी
आज की सुबह बड़े शोर से मनाई जायेगी।

मीठे बोल का अनुमान नहीं करना
उसका मकसद होगा बाद में अपमान करना
धीरे से सर को कलाम करना
और सलाम करके छू हो जाना।

में कोई संत और सयाना नहीं
पर बचकाना हरकत कभी नहीं
हर बोल का तोल जरूर होगा
पलटवार अंतिम और आखिरी वार होगा।

एक बात का ख्याल हमेशा रखो
क्षत्रु के क्षत्रु को दोस्त बनाके रखो
मुश्किल समय में हुकम का एक्का साबित होगा
हार को समय आनेपर जीत में पलट देगा।

ना रखो किसी का एहसान
देवा से कभी ना रहो परेशान
चुकाते रहो सही वक्त पर
दुश्मन को भी वधाई दो किसी नजदीकी की मोत पर।

क्षत्रु का नाश Kshtru Kaa
Sunday, December 25, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2016

पंड़ित मनीष श्रीमाली बहुत खूब श्रीमान But मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना। See translation Unlike · Reply · 1 · 40 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 25 December 2016

ना रखो किसी का एहसान देवा से कभी ना रहो परेशान चुकाते रहो सही वक्त पर दुश्मन को भी वधाई दो किसी नजदीकी की मोत पर।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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