मा की कोख
में काणा था
में काला था
एक ही आँख थी
पर मेरे लिए मा की कोख थी
पिताजी के थे आशीर्वाद
करेगा हमारा जीवन आबाद
आँख का तारा तो है
नाम लेनेवाला कोई तो है।
यही थे माँ बाप
श्रेष्ठ और उत्तम अपने आप
स्वर्ग के रहनुमा
मेरे पिता और माँ।
कैसा रखा मुझे दुनिया में?
ना मिलेगी मिसाल पुस्तक में
उनके गुण में कैसे भूल पाऊं?
मेरे जीवन को में कैसे गिरा पाऊँ।
चरणरज रोज लिया करूंगा
श्रवण की तरह तीर्थदर्शन कराऊंगा
उनकी आँखों से लाचारी कभी नहीं दिखाई देगी
यहि मेरी सच्ची साधना और भक्ति होगी।
उनसे बढ़कर मेरा तीर्थधाम क्या होगा?
उनकी छाया छोड़कर मुझे आश्रय कहाँ मिलेगा
मेरा जीवन सफल होगा यदि उन्होंने कभी गीला नहीं किया
मेरे हर मोड़पर उन्होंने खड़े रहकर हाथपर पुचकार ही किया ।
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उनसे बढ़कर मेरा तीर्थधाम क्या होगा? उनकी छाया छोड़कर मुझे आश्रय कहाँ मिलेगा मेरा जीवन सफल होगा यदि उन्होंने कभी गीला नहीं किया मेरे हर मोड़पर उन्होंने खड़े रहकर हाथपर पुचकार ही किया ।