माँ की देन
बुधवार, ६ अगस्त २०२०
नाकरो व्यक्त अपनेअलफ़ाज़ ऐसे
आप हो पुष्प होएक गुच्छ के
ना समजो इतने तुच्छ अपने आपको
रखो आस चूमने की आसमान को।
ना कोई बड़ा ना छोटा होता है
अपने आप में मस्त रहता है
ये तो है माँ की देन इंसान को
जो दिखाता है अपनी काबिलियत को।
ना किसी ने पाया है
अपनी माँ के कोख से
उसने उझाला है जीवन
अपने आप के अथाग प्रयास से।
मिल जाए यदि उसकी कृपा
जीवन सुखी रहे ओर राह सरल सदा
कर लो बुलंदी इतनी की
रहे रहेम सदा उसकी।
रखो अपने आप में इतना भरोसा
ना देखो थाली में किसने परोसा
ये तो एक जज्बा है कविता का
बेहता है जल सदा सरिता का।
डॉ. जाड़िआ हसमुख
आभार: शरद भाटिआ
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ये तो एक जज्बा है कविता का बेहता है जल सदा सरिता का। डॉ. जाड़िआ हसमुख आभार: शरद भाटिआ