में सहमत हूँ
पर असहमत हु
उनके लिए जो बेकसूर है और मारे जाते है
जिन को अल्लाह का नाम याद दिलाया जाता है
और जब वो नमाज में मस्त है
तो भी गोली मार दी जाती है।
वो तो उसकी बंदगी में मस्त है
और उसका अस्त हो जाता है।
में कायल हूँ
हुसैनियत का इकबाल करता हूँ
मजहब का पूरा सन्मान
पर ये कैसा है जुल्म और अपमान।
अल्लाह ने नूर भेजा
अपने उसूल भेजे
करबला और मक्का दिया
कई जिंदगी यों को बचाया।
हम कायल है उन नमाजी उसूलों के
मानते भी है की उसूल हो तो रसूल के
पर कुछ करके दिखाओ मजहब के लिए
भाईचारा भी तो है सन्देश हुसैनियत के लिए।
अल्लाह ने नूर भेजा अपने उसूल भेजे करबला और मक्का दिया कई जिंदगी यों को बचाया। हम कायल है उन नमाजी उसूलों के मानते भी है की उसूल हो तो रसूल के पर कुछ करके दिखाओ मजहब के लिए भाईचारा भी तो है सन्देश हुसैनियत के लिए।
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welcome mahesh shah