मेरा धर्म श्रेष्ठ
बुधवार, १८ सितम्बर २०१९
मै कोने में बैठकर खूब रोइ
हो सका ना मेरा कोई
खूब कोसा अपने आप को
ना जान पाई सबको।
सब पूछते मेरी जाती
मुझे खूब हंसी आ जाती
में नहीं बताती
ये बात मुझे खूब रुलाती।
सब कहे मेरा धर्म है श्रेष्ठ
सोचना भी है उत्कृष्ट
पर आचरण है अलग अलग
आदमी नहीं है सजग।
सबको अपनी अपनी सोच है
सत्य की सब को खोज है
पर मुझे एक बात की खीज है
रीस भी आती है ओरचीड़ भी है।
में सोच लिया अपनेआप
नहीं रखना मैंने कोई संताप
मुझे आगे बढ़ना है
सब से अनोखा रुख अपनाना है।
हसमुख मेहता
में सोच लिया अपनेआप नहीं रखना मैंने कोई संताप मुझे आगे बढ़ना है सब से अनोखा रुख अपनाना है। हसमुख मेहता Hasmukh Amathalal
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दिनेश दिनेश Hide or report this 1 Like · Reply · 1h