मेरी आकांक्षा Meri Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मेरी आकांक्षा Meri

Rating: 5.0

मेरी आकांक्षा
गुरूवार, ३ सितम्बर २०२०

एहसास है सुन्दर
दिल है गेहरा समंदर
परेशानी हो जाती छूमंतर
यदि घट जाए थोड़ा सा अंतर

तारेमें तोड़कर ला नही सकता
आसमान को में लांग नहीं सकता
पर दिल को में विशाल बना सकता
और आपके लिए जगा बना सकता।

आप मेरी गहराई को नाप सकते हो
छलांग लगाकर तह तक पहुँच सकते हो
मेरे आकांक्षा को महत्वाकांक्षी बना सकते हो
अपने आपको गौरवशाली होने का अनुभव कर सकते हो।

जिंदगी है ही खुशनुमा
चांदनी चमकता हो चन्द्रमा
सूरज भी देता हो अपनी उपास्थिति का एहसास
थाम के रखो अपना दिल और लो धीरे से सांस।

होने दो प्यार का अतिक्रमण
और होने दो अपनी सौदर्यता का कामण
हम तो ले चुके है प्रण
प्यार में दे भी सकते है प्राण।

डॉजाडीआ हसमुख

मेरी आकांक्षा Meri
Thursday, September 3, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 03 September 2020

हम तो ले चुके है प्रण प्यार में दे भी सकते है प्राण। डॉ जाडीआ हसमुख

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 September 2020

Poem: 59107863 - मेरी आकांक्षा Meri Member: Varsha M Comment: Ek sundar mahtwakanksha. Dhanyawad janab ess rachna ke liye.

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 September 2020

Poem: 59107863 - मेरी आकांक्षा Meri Member: Sharad Bhatia हम तो ले चुके है प्रण प्यार में दे भी सकते है प्राण। और ले भी सकते हैं प्राण

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 September 2020

Poem: 59107863 - मेरी आकांक्षा Meri Member: Sharad Bhatia Comment: गुरुजी सादर प्रणाम, इस प्यारी सी कविता के द्वारा आपने हम सब को मंत्रमुग्ध कर दिया।। सबसे बेहतरीन रचना होने दो प्यार का अतिक्रमण और होने दो अपनी सौदर्यता का कामण

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Varsha M 03 September 2020

Ek sundar mahtwakanksha. Dhanyawad janab ess rachna ke liye.

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Sharad Bhatia 03 September 2020

गुरुजी सादर प्रणाम, इस प्यारी सी कविता के द्वारा आपने हम सब को मंत्रमुग्ध कर दिया।। सबसे बेहतरीन रचना होने दो प्यार का अतिक्रमण और होने दो अपनी सौदर्यता का कामण हम तो ले चुके है प्रण प्यार में दे भी सकते है प्राण। और ले भी सकते हैं प्राण

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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