में एक पिता, , Pita Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

में एक पिता, , Pita

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में एक पिता
रविवार, २१ जून २०२०

ना तोड़ नाता, अब भी सम्हलजा
तो छोटा है मेरी गोदी में आ जा
मेरा हाथ तेरे सर पर है, थोड़ा सा मुस्कुरा ले
आज का लुफ्त तो जी भरकर उठा ले।

ना कर ऐसी दीवानगी!
तुझे किस की चाहिए परवानगी
में दूर से तुझे देखकर भी खुश हूँ
दिल से बिलकुल ही नहीं मायूस हूँ।

नहीं है कोई गिला मेरे मन में
जी भरकर देखा है, मेरा प्रतिबिम्ब तुझ में
मुझे पता नहीं यह ऐसा बदलाव है!
फिर भी मुझे इतना ही लगाव है।

गले ना लगा, पर थोड़ा सा मुस्करातो ले
जीवनभर का जोड़ है थोड़ा सा समझ तो ले
मेरी थोड़ी सी परेशानी को दिल से समझ
समय रहते हुए किसी बातों में तो ना उलझ।

पूरा संसार आज "पिताश्री" का दिन मना रहा
कितनी कितनी श्रध्द्दान्जलियां दे रहा
आज का दिन ही क्यों याद आ रहा?
जब की सारा साल में अँधेरे में डूबा रहा।

हवा का रुख बदल गया है
मानो अंदरूनी आत्मा को सुसुप्त अवस्था में छोड़ गया है
फिर भी दिल है कभी नहीं कोसता
बस दुआएं देता और सुख की कामना करता।

हसमुख मेहता

में एक पिता, , Pita
Sunday, June 21, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

हवा का रुख बदल गया है मानो अंदरूनी आत्मा को सुसुप्त अवस्था में छोड़ गया है फिर भी दिल है कभी नहीं कोसता बस दुआएं देता और सुख की कामना करता। हसमुख मेहता

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welcome Chandan Deka

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Sanjay Mehta 90 mutual friends Message

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Ashok Kumar 231 mutual friends Message

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dipali sathvara

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Chandan Deka Hasmukh Mehta, Sir P r a n i p a t, 🙌🙌🙌

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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