Poem Poem by Sanjay Amaan

Poem

नज़्म
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ख़्याल आया नाम बदल दिया है -
हुज़ूर ने -
अब बदल जाएगा मुल्क़ का भविष्य -
ईज्जत नहीं लुटेगी मेरी -
न ही मेरा शरीर नोचा जाएगा -
तीतर -बटेर की तरह -
कहा हो -
क्या तुम्हे दीखता नहीं
या सत्ता के मद में अंधे हो गए हो -
मेरी योनी की लहू की धार से तुम्हे बेचैनी नहीं होती क्या?
मत भूलो मैं शक्ति हूँ -
तुम भी मुझे पूजते हो -
डूब जाएगा एक दिन '' ७ रेस कोर्स ''मेरी श्राप से -
सॉरी मैं भूल गई थी -
''लोककल्याण'' मार्ग साहब ने तो नाम बदल दिया है -

- संजय अमान

Saturday, July 7, 2018
Topic(s) of this poem: human condition
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Sanjay Amaan

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