Friday, July 23,2021
11: 49 AM
प्रेम ही सन्देश
शुक्रवार, २३ जुलाई २०२१
दिल की बैचेनी बरकरार
कभी ना हो तकरार
रहे हमेशा इंतजार
आँखे ढूंढे बारबार।
दिल है बेशुमार कीमती
भगवान् सबको दे सन्मति
सद्बुद्धि और सद्भावना
ना हो कोई इतना उतावला।
प्रेम में कैसी खबरदारी?
उसमे तो हो समझदारी
प्रेम की साझेदारी
एक बने दोनों राहदारी।
प्रेम राह नहीं है टेढ़ा
सब ने उसे चाहा और ढूंढा
प्रेम पनपा और राह बनी आसान
थम गया दिल में मचा घमासान।
प्रेम तो है एक सीडी
बन गई है बात जब से आँख लड़ी
आँखों ने आँखों से की बात
बन गई सुनहरी यादे रंगीन रात।
प्रेम है ही लाजवाब
उसका नहीं है कोई जवाब
बोलने लगते है बेजुबान
दे देते है अपनी जबान।
प्रेम को दो, दिल से दुहाई
अनबन की हो जाए रिहाई
प्रेम के अक्षर है ढाई
सब के दिल में ये है समाई।
प्रेम की स्याही में नहीं है कोई मिलावट
आसमान से थिरकती और करती जमावट
पाँव थिरकते रेहते और कभी ना टिकते
आँखों में ख़ुशी के आंसू धीरे से टपकते।
प्रेम ही सन्देश
ना हो कोई अंदेश
रहो देश या विदेश
उसका महत्त्व है विशेष।
डॉ हसमुख मेहता
साहित्यिकी
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
Manoj Pandey