प्रेम ही सन्देश.. Prem Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्रेम ही सन्देश.. Prem

Rating: 5.0

Friday, July 23,2021
11: 49 AM


प्रेम ही सन्देश
शुक्रवार, २३ जुलाई २०२१

दिल की बैचेनी बरकरार
कभी ना हो तकरार
रहे हमेशा इंतजार
आँखे ढूंढे बारबार।

दिल है बेशुमार कीमती
भगवान् सबको दे सन्मति
सद्बुद्धि और सद्भावना
ना हो कोई इतना उतावला।

प्रेम में कैसी खबरदारी?
उसमे तो हो समझदारी
प्रेम की साझेदारी
एक बने दोनों राहदारी।

प्रेम राह नहीं है टेढ़ा
सब ने उसे चाहा और ढूंढा
प्रेम पनपा और राह बनी आसान
थम गया दिल में मचा घमासान।

प्रेम तो है एक सीडी
बन गई है बात जब से आँख लड़ी
आँखों ने आँखों से की बात
बन गई सुनहरी यादे रंगीन रात।

प्रेम है ही लाजवाब
उसका नहीं है कोई जवाब
बोलने लगते है बेजुबान
दे देते है अपनी जबान।

प्रेम को दो, दिल से दुहाई
अनबन की हो जाए रिहाई
प्रेम के अक्षर है ढाई
सब के दिल में ये है समाई।

प्रेम की स्याही में नहीं है कोई मिलावट
आसमान से थिरकती और करती जमावट
पाँव थिरकते रेहते और कभी ना टिकते
आँखों में ख़ुशी के आंसू धीरे से टपकते।

प्रेम ही सन्देश
ना हो कोई अंदेश
रहो देश या विदेश
उसका महत्त्व है विशेष।

डॉ हसमुख मेहता
साहित्यिकी

प्रेम ही सन्देश.. Prem
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
प्रेम ही सन्देश ना हो कोई अंदेश रहो देश या विदेश उसका महत्त्व है विशेष। डॉ हसमुख मेहता साहित्यिकी
COMMENTS OF THE POEM

Manoj Pandey

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welcome. .Kento Lekpa

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welcome.. Ansari Samir

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welcome. .S K Upadhyay Upadhyay

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welcome.. Karma La

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Rani Viva Hasmikh Mehta 🙏🙏🙏 · Reply · 10 h

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elcome. Rani Viva

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elcome..Vinod Fullee

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elcome. .Vinod Fullee

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welcome.. Chetan Kurrey

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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