ऋत आए
शनिवार, २७ जुलाई २०१९
ऋत आए, ऋत जाए
मेरे मन को खूब सताए
सावन का रूखापन
ना लगे अपनापन।
मेरे दिल को ना मिले चैन
सब में लगे परायापन
कोई लगे ना मेरा
बस आता रहे रोज सवेरा।
बाग़ में खिलते फूल न्यारे
खिलते रहते हंसी के सहारे
मुझे लगा रहता, क्यों बेसहारा?
जिंदगी से में क्यों हारा?
पतझड़ को भी आना होगा
सावन को भी जाना
बारिश का भी इंतजार रहेगा
कब तक मन यूँही बेचेन रहेगा?
संसार का ये एक रूप है
अपने आपको खुद देखना है
यह क्रम तो चलता रहेगा
हमें खुद को सोचना होगा
हसमुख मेहता
Sheetal Mehta Well sung papa (Reet bandish) 1 Delete or hide this Like · Reply · 27m
संसार का ये एक रूप है अपने आपको खुद देखना है यह क्रम तो चलता रहेगा हमें खुद को सोचना होगा हसमुख मेहता Hasmukh Amathalal
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singh S Rajput Delete or hide this 1 Like · Reply · 5h