Sarasvati Vandna (सरस्वती वंदना) Poem by Ambarish Srivastava

Sarasvati Vandna (सरस्वती वंदना)

सरस्वती वंदना

शुचि शुभ्रवसना शारदा वीणाकरे वागीश्वरी,
कमलासनी हंसाधिरुढ़ा बुद्धिदा ज्ञानेश्वरी,
अमृतकलश कर अक्षसूत्रं पुस्तकं प्रतिशोभितं,
शरणागतं शुभ सत्वरूपं वेदमाता वंदितं..

सरस्वति मैया सुन लो पुकार...
मन के भावों में बस जाओ तुमसे करूँ गुहार

लेकर मन यह कागज़ कोरा आये तुम्हरे द्वारे
तुम्हरी ही छवि मन में मैया तुम्हरे भाव विचारे
हम को भी कुछ दे दो मैया कर दो अब उद्धार
सरस्वति मैया सुन लो पुकार...

छंद अनेक रचाए तुमने भावुक धार बहाई
गीत ग़ज़ल औ मुक्तक सारे तुमसे ही ओ माई
हम तो हो गए साधक तुम्हरे कविता से जो प्यार
सरस्वति मैया सुन लो पुकार...

- इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'

Sarasvati Vandna (सरस्वती वंदना)
Sunday, April 1, 2018
Topic(s) of this poem: prayer
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