यदि ऐसा होता यह संसार... Poem by Izumi Shobhya

यदि ऐसा होता यह संसार...

न छाया होता अंधकार
सबका होता आदर सत्कार
न टूटता कोई परिवार
चलती न धर्म के नाम पर तलवार
युद्ध ना कर यदि करते परोपकार
ना करता कोई मोह अहंकार

हर बच्चे में एक उमंग होती
आशाएं सबकी स्वतंत्र होती
प्यार की बहती तरंग होती
प्रगति की उड़ती पतंग होती
भेदभाव की ना सुरंग होती

ना भूखी सूती कोई माँ
ना मरती कोई नेक चाह
ना चुनता कोई गलत राह
यदि मनुष्य दिल के भाव समझ पाता
जाती पाती से ना रुह आकता

मानवता पर ना होता प्रहार
कुरीतियों का होता संहार
खुशियों की होती बहार
यदि ऐसा होता यह संसार
यदि ऐसा होता यह संसार

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