तब आ जाएंगे।
में क्यों रहूँ गुमसुम?
जब बदला है मौसम
फूल खिले है तरह तरह
में क्यों सोचु विरह विरह?
जब कोई नहीं रहता इर्द गिर्द
तो हो जाता है थोड़ा सा दर्द
टिह सी मन में आ जाती है
थोड़ा सा दर्द जता जाती है।
रहा ना कोई साथी
जिसे ले चलू संगाथी
मैंने ना चाहा, कोई हमें तंग ना करे
बस खुश रहे और संग रहे।
खूब सहा है हमने आपका जुल्म
फिर भी सर आँखों पर है आपका हुस्न
में सोचता हूँ उन बहारों का
जो कर देता है बेहाल आवारों का।
ये दुनिया है सरफेरों और सपनों की
जहाँ बस्ता है एक अंदाज और कदर है वचनों की
कुछ सितारे टूट जाते है और कुछ गायब हो जाते है
जो रह जाते है पीछे, वो रोते रोते सहते है।
ना होती है किसीकी सफल आजमाइश
और न पूरी होती अपनी सारी ख्वाहिश
कोई कोई होता है मुकद्दर का सिकंदर
जो सफल होता है तेर के समंदर।
ना कुछ खोना है, यहाँ इस जहाँ में!
बस पाना ही है बदली वफ़ा में
हम तो हो जायेंगे और खो भी जायेंगे
जब आप बुलाओगे तब आ जाएंगे।
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तब आ जाएंगे। में क्यों रहूँ गुमसुम? जब बदला है मौसम