विज्ञान के धरातलों पर घूमता फिरा हूं मै
रसायनों के चक्करों में था कभी
कम्प्यूटरों की भूमि में भटका भी था
और कभी कैंसर ने घसीटा अपनी खोज में
भौतिकी यंत्रों का मै कायल रहा
और भी कितने ही विषय विज्ञान के
है आज भी मुझको निमंत्रण दे रहे
सोचता हूं और समझता भी हूं मै इस अपवाद को
हो नही सकता है कोई विश्व के विज्ञान में
भेद सारे जान पाये विश्व के विज्ञान के
है कठिन पथ खोज का सब जानते हैं
फिर भी जो इसमें रमें सब मानते हैं
इससे बढकर है नही आनंद कोई विश्व में
ज्ञान की सीमा बढाना हे अभय
अभय भारत 23 अप्रैल 2009 9.29 प्रातः
(Blog appearance.. It is an old work.)
Picture - Amrit's Second Birthday
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