यशगान करने की yashgaan karne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

यशगान करने की yashgaan karne

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यशगान करने की

आज जश्न का माहोल और दिन है
उसका जतन करना उतना ही कठिन है
बडी कुर्बानियां देकर हमने स्वतन्त्रता पायी है
हमने भी उसे बड़े सन्मान अपनायी है

सारा विश्व हमारी और निगाहे गडाएँ है
कितनी आशायें है और विडंबनाएं भी है
हम जीतना कर सकते है जरूर करेंगे
'भारत माता ' सपना अवश्य पूरा करेंगे।

बहुत सहा है गरीब प्रजा ने
बहुत लूटा है मिलकर अपने ही रखवालो ने
आज में केहताहूँ 'ना खाऊंगा और नाही खाने दूंगा'
ये प्रण में सदा निभाता रहूंगा।

कुदरत हमारे और आपके साथ है
बस बलवान तो हमारे दोनों हाथ है
ये सर हमेशा ऊंचा ही रहेगा
बहरत की शान सदा बढ़ाता रहेगा।

यदि तिरंगा हमारी जान है
तो भारत हमारी पहचान है
शांति का सन्देश जरूर देते है
पर समय आनेपर सबक भी दे देते है।

कह दो सभी बुरी नजर वालोंको
कभी गलती से भी ना हमको
हम शांति के पुजारी जरूर है
पर अपनी आजादी पर मगरूर भी है।

हमारी ही भूमिपर हम निराश्रित नहीं होंगे
आतंकवादियो के नापाक कदम कभी पड़ने नहीं देंगे
यही हमारा अंतर्मन कहता है और हम संकल्प पूरा करेंगे
जीवन का कोई भी कार्य अधूरा नहीं छोड़ेंगे।

आओ हम मिलकर अखंड भारत की कल्पना करें
मन में बसा ले मनसूबा और यशकामना करें
यही घडी है भारत माता की शान में जश्न बनाने की
सही मानो में यशगान करने की और साबित करने की

Thursday, August 14, 2014
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2014

Aakash Verma likes this. Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 15 August 2014

Manish Shrivastav Itm hope with hard work in castady 2 hrs · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 15 August 2014

Hasmukh Mehta welcome Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 14 August 2014

Bhupendra Kumar Rathour shared your photo.

0 0 Reply
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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