बन्दे से खुदा हो गया हूँ Poem by Lalit Kaira

बन्दे से खुदा हो गया हूँ

खुदी से जुदा हो गया हूँ
के देखो क्या हो गया हूँ

किसी भी जगह ढूंढ लो तुम
महकती हवा हो गया हूँ

किसे नहीं अब चाह मेरी
बहाना निरा हो गया हूँ

बदलते जहाँ की नजर में
बन्दे से खुदा हो गया हूँ

मुस्कुरा दिया कर कभी तू भी
ललित आइना हो गया हूँ

Monday, November 2, 2015
Topic(s) of this poem: life
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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