घायल हैं सपने स्वराज के
बैठी क्यों खमोश जवानी?
आज़ाद भगत सिंह आकुल हैं,
हैं क्षुब्ध व्यथित झांसी की रानी.
अरमान ध्वस्त हैं गांधी के,
आजादी है ये बेमानी.
घायल हैं सपने स्वराज के..................
लोकतंत्र की लुटिया डूबी,
कुर्सी की है खींचातानी.
जो-तोड़ की राजनीति ने
उम्मींदों पर फेरा पानी.
उम्मींदों पर फेरा पानी......................
लूट रहें देश लुटेरे
हालत है फिर वही पुरानी.
स्विस बैंक में कैद लक्ष्मी.
हिन्दी को है काला पानी.
उम्मींदों पर फेरा पानी.....................................
ज्ञान क्रांति के अभिनव युग में
प्रजनन शक्ति बनी है रानी
ठोकर खाती हैं प्रतिभाएं
अपमानित विद्वतजन ज्ञानी
उम्मींदों पर फेरा पानी...............................
अन्धकार की पौ बारह है.
गुरू बन रहे हैं अज्ञानी.
‘ब्रेन ड्रेन’ हाल विकट है.
सिर से अब ऊपर है पानी.
उम्मींदों पर फेरा पानी......................
इंकलाब की बात करो अब,
वर्ना नहीं बचेगा पानी.
उठो बढ़ो विप्लव के पथ पर,
जागो! जागो! हिन्दुस्तानी.
उम्मींदों पर फेरा पानी.....................
उपेन्द्र सिंह 'सुमन'
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Ek Kadam Inklab Ki aor Shandar Prastuti! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! ! !