और एक कदम Poem by Ajay Srivastava

और एक कदम

यह चिंगारी नही मशाल है|
हर ठंठे दिल की तपीश है|

यह दिल पर पडने वाली अवाज नही
हर भारतवासी की जन चेतना है|

यह जो जीत का अहसास है|
दिल की चैतना का परिणाम है|

यह अहसास ही स्थायी जीत की और एक कदम है|
कदम को मजबूती से रखना है|

चेतना को दिल मे हमेशा धघकते रहना है|
समपूर्ण जन मानस को कर्तव्य के लिए प्रेरित करना है|

और एक कदम
Saturday, February 20, 2016
Topic(s) of this poem: awakening
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