कल्याण Poem by Ajay Srivastava

कल्याण

जन जन का दावा है |
बेईमानो को परितोषिक है |
ईमानदारो को दंड है |

विशवास की लहर है |
धन की महिमा है |
हर अनेतिक कार्य सपन्न हो जाता है |

बुद्धिमता का स्नान है |
जवान सीमा पर समर्पित है |
वुद्धिजीवी देश द्रोहीयो पर समर्पित है
|
व्यवाहरिकता का आसन है |
स्वय कानून के शिकंजे मे तो कानून बदल डाले |
जन जन जन कल्याण से वंचित तो सधर्ष मे लिप्त कर दो |

कल्याण
Friday, February 26, 2016
Topic(s) of this poem: welfare
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