का करिती हम तोहारा आताना झोर झमेल मे आके Poem by Tarun Upadhyay

का करिती हम तोहारा आताना झोर झमेल मे आके

हम के फेकलू पेट माड़ा के
माईहो तू नीके काइलू
हम के ना जनमा के
का करिती हम तोहारा आताना
झोर झमेल मे आके.............................
अइला पर तू लोर चुवइतू
हम के ताकि लुका के
सासु ससुर के झासा
पाँसा गोतिनी से अझुराके
कतनों मन के धीरज धरितू
गांठ - गांठ सझुराके
चाचू बोली बोली के जइते
पापा धीर धराके
का करिती हम आके...................................
जइसे तईसे पोसितू पालितू
डाटि डपटि झरीया के
भाई के हम गोद खेलइती
बाग बगइचा जा के
गलती करिते भैया
मैया मरीति जे गरिया के
दुतकारी सब भरित
प्यार ना करिते गोद बिठा के
का करिती हम आके.........................................
मन के मनही रहित भाव
भरि जाइत नयन धिया के
तोहरा ओर चिताइती माई
हम टक टकी लगा के
भाई के कोरा मे लीहितू
हमके पास बोला के
मन मे काताना कुढि के रहितू
हमारा के जनमा के
का करिती हम आके.......................................
राज कुंवर के रानी बनिती
की लौउड़ी बड़का के
की आकाश के परी सुनीता
की प्रतिभा इन्दिरा के
की लक्ष्मीबाई हम बनिती
रखिती मान धरा के
बसनाचलित तोहार केहुपर
कहितू जो खिसिया के
केकरा खूंटा बान्हि के अइते
पापा जी घिसियाक के....... का करिती हम आके.........................

ashok chaubey

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