मैं एक हीरा हूँ - खुरदुरा Poem by M. Asim Nehal

मैं एक हीरा हूँ - खुरदुरा

Rating: 5.0

मैं एक हीरा हूँ, खुरदुरा जो तराशा नहीं गया अभी,
कहीं दबा हुआ, कुछ छुपा हुआ सा
मेरे पिता का कहना है की मैं सब से चमकीला हूँ
तराशा नहीं गया फिर भी अलबेला हूँ
वर्षों तक दबे रहने से कुछ धुल सी जम गयी है
बस एक जौहरी मिल जाये फिर चमक की क्या कमी है

मैंने गर्मी, सर्दी, बरसात सब सहा है
शायद इनसे चमकते रहने का उत्साह भी मिला है
एक मौका बस एक मौका मिल जाये जो कहीं
पिता का कहना है मुझ में चमक की कोई कमी नहीं
बस उठा ले कोई, झाड़ दे मेरी गर्द और तराश दे मुझको
वो मित्र मेरा मुझसे खूब सुख पायेगा, हो चूका ये गुमनामी का सफर
अब बस दिख जाएगी मेरी चमक, मैं एक नायब हीरा हूँ.....

This is a translation of the poem I Am A Diamond In The Rough by Kelley Collins
Tuesday, July 26, 2016
Topic(s) of this poem: friendship
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
अश्वेत पर हो रहे अत्याचार की ये एक अदभुत व्याख्या है, कवि ने अवसर न प्राप्त होने की व्यथा का अति उत्तम वर्णन किया है और एक अवसर की तलाश में है की जब वह अपनी क्षमता से विश्व को ये बतला देगा की उसमे कितनी चमक है और वह किसी से कम नहीं है....
COMMENTS OF THE POEM
Abduhoo Salamath 16 August 2016

wah.. waaah, .....kahan kahan se is tarah ke khayalath aate hain....bahuth khoob...vaqiyee heera ho..

1 0 Reply
T Rajan Evol 30 July 2016

Beautiful translation. You are master poet and you also justify other's poem by doing awesome translations.

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Akhtar Jawad 27 July 2016

A wonderful translation, a poem of self confidence.

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