दर्द कितना क्यों न सही पाँव को उठाना जरूरी होता है।
मंज़िले नामुमकिन ही सही मगर चलते जाना ज़रूरी होता हैll
क्या पता कब किसका तबस्सुम लग जाये इन हाथो को
इसलिए हर रहगुज़र से हाथ मिलाना जरुरी होता हैll
कुछ काम गलत कर बैठो ये भी ज़ायज है
बस यहाँ सच्चाई का रूतबा समझ आना जरुरी होता हैll
भीड़ इतनी है यहाँ की कही हिम्मत भी दम तोड़ ना दे
कोई अंजान ही सही एक मंजिल बनाना जरुरी होता है।।
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एक जीवन दर्शन का प्रतीक है आपकी यह रचना. किसी लक्ष्य का होना और उसे पाने के लिये दृढ़ निश्चय व परिश्रम दोनों की ज़रूरत पड़ती है. बहुत सुंदर. धन्यवाद, राहुल जी.