साँसों के हौशले आज़माकर तो देखो ज़रा,
दो कदम ही सही, कदम बढ़ाकर तो देखो ज़रा l
जिंदगी यूँ ही नही मुँह मोड़ती बहादुर से,
अपनी बाँहो को फैलाकर तो देखो ज़रा l
क्या पाया, क्या नही पाया, इसका भी क्या रोना है,
माँ के आँचल में जाकर तो देखो ज़रा ll
जिंदगी सिर्फ छाँव में काटोगे ये सही बात नही,
मेरी मानो तो धूप में भी नहाकर तो देखो ज़रा ll
ये मसला परसों सुलझेगा की कल क्या होना है,
मेरी मानो आज हिम्मत आज़माकर तो देखो जरा ll
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