टूटते लफ्ज़ दिखेंगे तो सितारों पे गौर कौन देगा ।
तुम भी अब झूठी हो तो सच को वफ़ा कौन देगा।।
ये अकेलापन मेरा कही कर ना बैठे खोखला मुझको।
तुम भी अब साथ ना दोगी तो ए जान ए वफ़ा कौन देगा।।
जब तुमने ही छीन ली मुझसे मेरे जीने की वज़ह
किससे कहूँ अब मरने की वज़ह कौन देगा।।
एक तरफ पाँव हैं छाले हैं, वहाँ मंज़िल है
तू क्यों सोचता है हौसले तोड़के वो तुझको मन्ज़िल देगा।।
वैसे लाखो शजर होंगे मेरी महफ़िल में
मगर तेरे शजरे मोहोब्बत् सी हवा कौन देगा ।
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