एक तरफ और एक तरफ Poem by Rahul Awasthi

एक तरफ और एक तरफ

Rating: 4.3

एक तरफ महल है और बिजली की रोशनाई हैl
एक तरफ मिट्टी का टूटा घर और गोबर की लिपाई हैll

एक तरफ बेमान कुछ ग़ांधी के चेले हैंl
एक तरफ ये जिंदगी, जिसमें लाखो झमेले हैंll

एक तरफ जिंदगी नंगी है लॉन की लम्बी कतारो मेंl
एक तरफ है फ़फ़कती जिंदगी कच्चे मकानों मेंll

एक तरफ पैसा ही पैसा हैl
एक तरफ ए निर्दयी हालात तेरा रंग कैसा हैll

एक तरफ झूठी शान और झूठी रहनुमाई है l
एक तरफ गुमनाम मुफलिसों की मेहनत की कमाई हैll

Tuesday, September 13, 2016
Topic(s) of this poem: poverty,social,society
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Muflis-greeb
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