आँखों से वो गुस्ताखियां करने लगा,
हर बात वो दिल की, नज़र से पढ़ने लगा,
पहला मिलन है आज उस से यूँ मेरा,
फिर जाने क्यों वो आदतन लगने लगा,
धीरे से उसका मुस्कुराना देख मुझे,
आँखों में मेरी शर्म सी भरने लगा,
तज़वीज़ उसकी, कुछ गुफ्तगू करने की,
मुझ को कभी, थोड़ा मसखरा लगने लगा,
दीदार की ये रात थम जाये यही,
दिल में "मनी" वो मेरे बसने लगा,
मनिंदर सिंह "मनी"
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मधुर मिलन और प्रेम की भावनाओं को समर्पित यह एक खुबसूरत कविता है. शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद, मित्र.