विचित्र यह जंगल का संसार Poem by Jaideep Joshi

विचित्र यह जंगल का संसार

शोर मचाएं चिड़िया बन्दर,
देखो आया सिंह धुरंधर।
हिरणों ने भगदड़ मचाई,
जान पर उनके जो बन आई।
जीव जीव के जीवन का आधार,
विचित्र यह जंगल का संसार।।

सर्दी में मीठी धूप ही भाए,
वसंत नव-नव फूल खिलाए।
गर्मी ने है जान सुखाई,
वर्षा फिर हरियाली लाई।
नित्य नए बदले रंग हज़ार,
विचित्र यह जंगल का संसार।।

हाथियों का अब झुण्ड है आया,
सबको इसने दूर भगाया।
इनसे झगडा कौन ले भाई,
किसकी ऐसी शामत आई?
बल को यहाँ भी नमस्कार,
विचित्र यह जंगल का संसार।।

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